सुरभि भारती का प्रथम उद्देश्य है कि राष्ट्र के गोवंश का संरक्षण हो।

हमारे बारे में

सुरभि भारती वर्षों से कला, बाल विकास, महिला कल्याण, शिक्षण, चिकित्सा एवं गौ संरक्षण और संवर्धन पर निरंतर कार्य कर रही है।

सरकार की विभिन्न योजनाओं से पहले भी सुरभि भारती अपने सामर्थय अनुसार निराश्रित गोवंशो का भरण पोषण करती आई है। सन 2015 से जिला लखनऊ के कुम्हरावा गांव में एक स्वतंत्र गौशाला की नींव रखी और लगभग 100 गोवशो का भरण पोषण कराती रही यह गौशाला आज भी उपस्थित है।

भारत एक आध्यात्मपरायण देश है। पाश्चात्य देश जहां के कार्यकलाप और नीतियां स्वार्थ से प्रेरित हैं, वहीं भारत में धर्मार्थ प्रधानता है। स्वयं के लिए किसी प्राणी को कष्ट देना या उसकी हत्या करना उसके लिए अधर्म माना गया है। भारतीय संस्कृति ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। इसलिए हमारी मां की पीड़ा और व्यथा को समझिए और उन्हें वही दर्जा दीजिए, जिसकी वह हकदार हैं।

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स्वेच्छा से शामिल होना

लोग स्वेच्छा से हमारी संस्था में शामिल होते है
और इस शुभ कार्य में हाथ बटाते है।

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बिना लाभ के कार्य करना

संस्था द्वारा कमाया गया सारा धन हमारे लाभ के लिए नहीं अपितु संस्था के लिए है।

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  • लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
  • घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
हमारी सेवाएँ
यह संगठन निरंतर विकास की दिशा में काम करता है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
गौ संरक्षण और संवर्धन

सुरभि भारती आदर्श गौशाला का निर्माण करना चाहती है जिससे एक मॉडल तैयार हो सके और उसे देख कर लोग गाय पालने के लिए प्रेरित हो सके। आज के इस औद्योगिक दौर में गोपालन से जुड़े जनमानस एवं ग्रामीणों ने यह धारणा पैदा हो चुकी है की गाय का दूध देती है और इसे पालना चाटे का सौदा है, किंतु यह उनका सोचना पूर्ण रूप से गलत है जिसको कई प्रकार से गलत साबित भी किया जा चुका है।

कला

सुरभि भारती बच्चों के मन में कला और संस्कृति के तरफ रुझान बढ़ाने के लिए समय-समय पर विभिन्न कलाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है फिल्मी संगीत के अतिरिक्त और भी जो विधाए हैं उन पर सुरभि भारती विशेष ध्यान देकर कार्यक्रमों का आयोजन करवाता है जिससे हमारी कला और हमारी संस्कृति का संरक्षण हो सके। संस्कृति को साथ लेकर चले बिना किसी देश का वास्तविक विकास संभव नही है।

बाल विकास

सुरभि भारती विकास पर विशेष ध्यान देती है। आज के बच्चे कल देश का भविष्य है इस को ध्यान में रखते हुए हर बच्चे के अंदर के छुपे हुए हुनर को अपने के लिए उनको स्वतंत्र शिक्षा एवं फिर प्रशिक्षण देने और प्रतियोगिताएं कराने का कार्य करती है। ये कार्यक्रम स्वास्थ्य, शिक्षा व ग्रामीण विकास इत्यादि के अन्य क्षेत्रों में भी एक पूरक व संपूरक भूमिका निभाते हैं। ये सभी प्रयास सुनिश्चित किए जा रहे हैं।

महिला कल्याण

यदि महिलाएं आगे नहीं बढ़ेगी तो देश आगे नही बढ़ सकता इसके लिए सुरभि भारती ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में उनका सहयोग करता है। और विभिन्न योजनाओं के तहत कुटीर उद्योगों से उन्हें जोडने का कार्य करती है। ये सभी प्रयास यह सुनिश्चित किए जा रहे हैं कि महिला को आर्थिक व सामाजिक दोनों रूप से सशक्त बनाया जाए और इस प्रकार उन्हें पुरुष के साथ राष्ट्र विकास में बराबर की भागीदार बनाया जाए।

शिक्षा

शिक्षा सभी का जन्म सिद्ध अधिकार है चाहे वह लड़का हो या लड़की। सुरभि भारती अपने अन्य सहयोगियों के साथ सड़क किनारे गुजर बसर कर रहे परिवारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। शिक्षा प्राप्त कर बालक अपनी योग्यताओं से परिचित होता हैं। शिक्षा समाज को सभ्य बनाने का कार्य करती हैं, शिक्षा के द्वारा ही एक समाज अपना विकास करता हैं और अपनी एक अलग पहचान बनाता हैं।

चिकित्सा

समय-समय पर स्वास्थ्य के जागरूकता हेतु चिकित्सा शिविरों का आयोजन करवाना, ग्रामीणों और अति निर्बल वर्ग को उनके स्वास्थ्य के प्रति उनको जागरूक करना और सरकारी सेवाओं का उनको लाभ दिलाने में सहयोग करती है। आम आदमी के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधा लेना बहुत महंगा होता है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो तमाम तरह के इलाज और मेडिकल टेस्ट का खर्च नहीं उठा पाते हैं।

गोमाता का महत्व

महाकाव्य

महाकाव्य की अनुशासन पर्व पुस्तक बताती है कि सुरभि का जन्म "सृष्टिकर्ता" (प्रजापति) की पीठ से हुआ था, जब उन्होंने समुद्र मंथन से निकली अमृत को पिया। आगे, सुरभि ने कपिला गायों के नाम से कई सुनहरी गायों को जन्म दिया, जिन्हें दुनिया की माँ कहा जाता था। शतपथ ब्राह्मण भी एक ऐसी ही कहानी कहता है, प्रजापति ने सुरभि को अपनी सांस से बनाया। हिन्दुत्व में गाय को परिवार का सदस्य माना गया हैं।

रामायण के अनुसार

रामायण के अनुसार, सुरभि ऋषि कश्यप की पुत्री और दक्ष की पुत्री क्रोधावशा की पुत्री हैं। उनकी बेटियां रोहिणी और गंधारवी क्रमशः मवेशियों और घोड़ों की माँ हैं। फिर भी, यह सुरभि है, जिसे पाठ में सभी गायों की माँ के रूप में वर्णित किया गया है। हालांकि, पुराणों में, जैसे कि विष्णु पुराण और भागवत पुराण में, सुरभि को दक्ष की बेटी और कश्यप की पत्नी के रूप में वर्णित किया गया है, साथ ही गायों की माँ भी हैं।

वैदिक साहित्य

वैदिक साहित्य के अनुसार हमें गायों की रोजाना की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। भगवान कृष्ण भी गौ माता की सेवा करके उन्हें रोज सुबह चराने ले जाते थे यही कारण है कि सभ्य परिवार रोजाना गो माता की सेवा करता है और उन्हें खाना खिलाता है। हिंदू अनुष्ठान में गाय को एक शुद्ध आत्मा, विश्वास, पवित्रता, धार्मिक संस्कृति का प्रतीक माना गया है। भारतीय पौराणिक कथाओं मे यह बताया गया है कि "गो" और "श्री कृष्ण" दोनों एक दूसरे की पहचान हैं।

सुरभि भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम

लोगों को गायों के प्रति सचेत करने के लिए सुरभि भारती द्वारा 1 नवंबर 2022 को ओमकारेश्वर गौशाला प्रांगण में गोपाष्टमी का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें समाज के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया गाय के लिए दान दिया। जैसे सुरभि भारती को गायों की सेवा हेतु आर्थिक सहयोग, गायों के लिए भूसा एवं राशन सामग्री अतः और भी अन्य सामान।

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प्रतिक्रिया
testimonial

मैं हर एक सुरभि भारती के स्वयंसेवकों को धन्यवाद देना चाहता हूं, गायों और उनकी नस्लों के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए यह वास्तव में बहुत अच्छी पहल है, फिर मिलते हैं उसी ऊर्जा और उत्साह के साथ जारी रखें...

नित्या पाठक
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गायों की संख्या को बचाने और बढ़ाने के लिए यह एक निस्वार्थ पहल है जो बदले में प्रकृति, मानव और ब्रह्मांड में सभी जीवित और गैर-प्रेमी प्राणियों को बचाता है। यह हमारी गायों की देखभाल करने वाला बहुत अच्छा समूह है।

हर्षित दुबे
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हमें वास्तव में अपनी गाय और उनकी सुरक्षा के बारे में किसी प्रकार की जागरूकता की आवश्यकता है। सुरभि भारती टीम इस क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है। जागरूकता फैलाना और समान विचारधारा वाले लोगों का अच्छा नेटवर्क बनाने में मदद करना।

आकाश पाटिल
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सुरभि भारती ट्रस्ट में मुझे जो पसंद आया, वह है गायों और परियोजना के साथ दानदाताओं का व्यक्तिगत संबंध। आप एक आदर्श कर्ता और समर्पण की टीम हैं। ऐसे ही शानदार काम करते रहें...

विशाल आदित्य सिंह